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Valentine Day Special: सच्चा प्रेम गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं होता
-राशिद सैफ़ी
अक़्सर एक मिसाल दी जाती है कि चाकू बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं, हाथ में लग जाये तो ख़ून निकल आता है, ठीक उसी तरह ये भी कहा जाता है कि सच्चा प्रेम गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं, दिल टूट जाये तो जान चली जाती है। दरसअल, यह सौ फ़ीसदी सच है कि सच्चा प्रेम वाक़ई गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं होता, सच्चा प्रेम करने और पाने को बड़ा दिल, त्याग, और समर्पण, सभी की ज़रूरत होती है, क्योंकि जब हम किसी से सच्चा प्रेम करते हैं तो उसको उसकी हर अच्छी-बुरी आदत, अच्छी-बुरी बात के साथ अपनाना चाहिए, साथ ही उसकी खुशियों के लियें अपनी खुशियों का त्याग भी करना पड़ता है, उसकी हर इच्छा में अपना समर्थन और अपने आपको समर्पित भी करना पड़ता है।
आज के युवा वर्ग को यह समझना बेहद ज़रूरी है कि प्रेम को सिर्फ़ गुड्डे-गुड़िया का खेल ना समझें, क्योंकि अक़्सर प्रेम को गुड्डे-गुड़िया का खेल समझ कर खेलने वालों के दिल टूट जाते हैं, और उसका अंजाम पूरी ज़िन्दगी का दर्द या मौत होती है।
तो दोस्तों, हमें और आपको भी समझना है और आज की इस युवा पीढ़ी को भी समझाना है कि सच्चा प्रेम गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं बल्कि प्रेम एक एहसास है किसी का हो जाने का, या किसी को अपना बना लेने का।
-लेखक राशिद सैफ़ी मुरादाबाद में इंसानियत वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक और अध्यक्ष है ।
Writer:zninews(
2018-02-10
)
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